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"समय!  निरंतर  चलता है,  हमारे  पहले भी 
दुनिया था और हमारे बाद भी दुनिया रहेगा।"
 
समाज एक समूह है, समाज को हम नहीं बदल सकते, समाज के अनुसार हमें स्वयं को बदलना होगा। समाज समूह है और हम एक व्यक्ति। व्यक्ति अपने आप को समझा सकता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को सर्वप्रथम स्वयं को केंद्र करना होगा। सभीं के दिल के अंदर कुछ दर्द है, और सभीं दर्द को साथ लेकर जीने की कोशिश करते हैं। 
Navvarta

किसी भी उलझन से कोई तीसरा नहीं निकाल सकता। वास्तव में किसी भी तीसरे को आपके मूल स्थिति का ज्ञान नहीं हो सकता। आप की स्थिति को स्वयं आप समझते हैं। परिस्थिति से निकलने का मार्ग भी आपके द्वारा ही निकलेगा। यदि आपके पास हौसला एवं जुनून हैं तो निश्चित तौर पर अपने विपरीत परिस्थिति को अनुकूल कर‌ सकते हैं।
वास्तविकता से दूर भागना अपने आप को भ्रम में डालने के बराबर है। 
वास्तविकता को स्वीकार कर जीवन को और बेहतर तरीके से जिया जा सकता है।जीवन में विश्वास उम्र को बढ़ाता है, जीवन में अविश्वास शरीर को अस्वस्थ बनाता है।

"नव वार्ता" के शब्द से कोई आहत हो उसके लिए नव वार्ता अपने सभीं पाठक मित्रों से क्षमा चाहता है। “नव वार्ता” के अथवा और किसी के कहने से “वास्तविक” की वास्तविकता कभीं नहीं बदलता। भारतीय धर्म के सभीं अनुयाई धरती के सभीं धर्मों का सम्मान करते है। 

वास्तविक धर्म से जुड़े व्यक्ति कभी किसी का अहित करने की नहीं सोचता, जो बेवजह किसी को हानि पहुंचाए वह मानव धर्म का नहीं हो सकता। “नव वार्ता” अपने शब्दों के जरिए किसी भी धर्म को नीचा दिखाने का किसी भी प्रकार से प्रयास नहीं करता है। 

संसार का सभी धर्म उत्तम है और सभी धर्म का सदैव सम्मान होना चाहिए। प्रकृति में सभीं जीव और समुदाय का अपना विशेष महत्व है। ईश्वर के लिए सभीं बराबर हैं और यह दुनिया सब का है।
अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका विशेष धन्यवाद!


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